महाराष्ट्र के रत्नागिरी जिले में काटलुक गांव में 1 प्राथमिक विद्यालय था। कक्षा चल रही थी। अध्यापक ने बच्चों से एक प्रश्न किया यदि तुम्हें रास्ते में एक हीरा मिल जाए तो तुम उसका क्या करोगे?
मैं इसे बेचकर एक कार खरीद लूंगा, एक बालक ने कहा। दूसरे ने कहा मैं उसे बेचकर धनवान बन जाऊंगा।किसी ने कहा कि वह उसे बेचकर विदेश यात्रा करेगा। चौथे बालक का उत्तर था कि मैं उस हीरे के मालिक का पता लगाकर लौटा दूंगा।
अध्यापक चकित थे फिर उन्होंने कहा कि मानो बहुत पता लगाने पर भी उसका मालिक ना मिला। तो बालक बोला,तब मैं हीरे को बेचूंगा और इससे मिले पैसे से देश की सेवा में लगा दूंगा। उत्तर सुनकर गदगद हो गए।बोले शाबाश तुम बड़े होकर सच में महान पुरुष बनोगे। शिक्षक की कही गई बात सत्य हुई। वह बालक बड़ा होकर देश भक्त महापुरुष बना उसका नाम था। गोपाल कृष्ण गोखले।
गोपाल कृष्ण गोखले के बचपन की एक और घटना है। जब वे बाल काल में स्कूल पढ़ते थे। एक दिन शिक्षक ने घर के लिए गणित के कुछ प्रश्न दिए गोपाल कृष्ण को उनमें एक प्रश्न नहीं आता था। इसलिए उसे दूसरे विद्यार्थी की सहायता से स्कूल में जब सब लड़कों की कमी देखी गई केवल गोपाल कृष्ण के सभी प्रश्न सही निकले।
शिक्षक बहुत प्रसन्न हुए उन को पुरस्कार देने लगे।गोपाल कृष्ण ने पुरस्कार नहीं लिया उल्टे रोने लगे या देखकर आश्चर्य से रोने का कारण पूछा। गोपाल कृष्ण ने विनम्रता से कहा आपने समझ लिया कि सभी प्रश्नों को मैंने अपनी बुद्धि से किए हैं पर यह सच नहीं है इसमें से एक प्रश्न मैंने अपने मित्र से मदद ली है इसलिए मैं इनाम नहीं ठंड के लायक हूं या सुनकर शिक्षित बहुत खुश हुए उनके हाथ में इनाम देते हुए कहा अब या इनाम तुम्हारी सत्य प्रीता के लिए दे रहा हूं।बाल काल में ऐसे थे। गोपाल कृष्ण गोखले।
Note-इस कहानी से हम्हे शिक्षा मिलती है कि हमें हमेशा ईमानदार रहना चाहिए और हमेशा सत्य बोलना चाहिए।
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