जब सब खराब लगने लगे तो ये कहानी पढ़ लेना।





एक कहानी है एक व्यापारी की जिसको व्यापार में बहुत घाटा हुआ तो दौड़े भागे एक संत के पास पहुंचे।तो जाकर महात्मा जी से कहने लगे, की महात्मा जी मेरे व्यापार में बहुत नुकसान हुआ। और उन्होंने महात्मा जी से कहा, कि मुझे बहुत नुकसान हुआ और मैं क्या करूं मैं बहुत परेशान हूं अपना दुख हर बात महात्मा जी को सुना रहे थे और वह चुपचाप खामोश सुन रहे थे। सारी बात सुनने के बाद महात्मा जी ने एक चिट्ठी ली और उसे व्यापारी को दे दी। यह चिट्ठी तुम्हारे लिए खास तुम्हारे लिए। और कहा इसको चुपचाप, आराम से शांति से बैठकर घर में जाकर पढ़ना इसमें तुम्हारे सारे प्रश्नों के उत्तर हैं।


 तो वह चिट्ठी लेकर व्यापारी अपने घर में आया,दौड़ा भागा अपने कमरे में गया और बात चिठ्ठी पढ़ने लगा। उसमें लिखा था “मेरे प्रिय जब तुम सुबह जगते हो, तब मैं तुम्हारे साथ ही खड़ा था। और मुझे लगा था, तुम मुझे याद करोगे मेरा ध्यान करोगे, लेकिन तुम अपने कामों में व्यस्त हो जाते हो। चाय पीने के लिए बैठते हो तो मुझे लगता है तब याद करोगे। तभी तुम देश दुनिया की सोच रहे होते हो। इधर-उधर के ख्यालों में होती हो। उसके बाद तुम स्नान करने चले जाते हो मुझे लगता है स्नान करने के बाद, आओगे तो थोड़ा ध्यान करोगे।


 उसके बाद फिर तो तुम इसी में लग जाता हूं कि आज कौन से वस्त्र पहनू। कौन से कपड़े अच्छे लगेगे, इसी समय तुम रह जाते हो। तब मुझे लगता है कि शायद अब तुम समय निकलोगे, लेकिन उसके बाद तुम नाश्ते के लिए बैठ जाते हो और नाश्ता करते हो। तब मुझे लगता है तुम मुझसे भी पूछोगे कि आप भी नाश्ता कर लो, लेकिन तुम ऐसा नहीं करते हो। तुम घर वालों से बात करते हो, यहां की बातें करते हो, वहां की बातें करते हो, सारी जहां की बातें करते हो,उसके बाद तुम ऑफिस के लिए घर से निकल जाते हो। उसके बाद तुम बस पकड़ते हो और बस से जाते समय आपको 15 मिनट लगता है। तब मुझे लगता है जो आपको 15 मिनट रास्ते में लगते हैं तब तुम मुझे याद करोगे। क्योंकि तब भी मैं तुम्हारे साथ ही होता हूं। 


लेकिन तब भी तुम मेरी और ध्यान नहीं देते हो। तुम अपने मोबाइल में गेम खेलने लग जाए हो और वह 15 मिनट ऐसे ही बर्बाद करते हो और फिर अपने ऑफिस पहुंच जाते हैं। ऑफिस में मुझे पता है तुम व्यस्त रहते हो, लेकिन उसमें भी तुम 15 मिनट निकालते हो। लेकिन तब भी तुम अपने इधर-उधर के ख्यालों में डूबे रहते हो मेरे बारे में सोचते ही नहीं हो। जब तुम ऑफिस से शाम में रवाना होते हो तो मुझे लगता है, संध्या काल में तुम्हें मेरी याद आएगी। क्योंकि मैं तो तुम्हारे साथ वह समय भी होता हूं। लेकिन तब भी तुम मेरा ध्यान नहीं करते हो। घर आते हो तो मुझे लगता है शायद अब 2 मिनट 5 मिनट निकलोगे, तभी आप व्यस्त रहते हो। उसके बाद खाना खाते हो परिवार के साथ समय बिताते हो, उसके बाद टीवी चालू कर लेते हो। और टीवी देखते देखते तुम्हें नींद आने लगती है। तुम आते हो कमरे में बीवी को और बच्चों को शुभ रात्रि बोलकर सोने चले जाते हैं। 


उसके बाद सोने से पहले जो 2 मिनट नींद नहीं आती है तब भी तुम मेरा ध्यान नहीं करते होमेरा हाल-चाल नहीं पूछते हो। मैं ऐसे ही प्रतीक्षा करता रह जाता हूं। मैं आपसे बहुत ज्यादा प्रेम करता हूं। और प्रतीक्षा करता हूं कि कभी तो तुम मेरी याद आएगी। तुम्हें आती है मेरी याद जब तुम्हारा घाटा हो जाता है कोई नुकसान हो जाता है कोई समस्या हो जाती है तब आते हो मेरे पास दौड़ते दौड़ते अरे अब भगवान को देख ले। तब भी तुम आके सारी काम की बातें बताते हो। पर तुम्हारा ध्यान मेरी तरफ नहीं होता तुम्हारा ध्यान रहता है कि मेरा वह काम हो जाए। 


मेरा काम पूरा हो जाए बस बात खत्म। हमारी इच्छा रहती है कि काम पूरा हो जाए, तुम्हारी मुझसे मिलने की कोई इच्छा नहीं होती। तभी मैं सोचता हूं उनको मेरी याद आएगी तुम मेरे पास आओगे लेकिन तब भी तो मेरे पास आते ही नहीं। मैं बस प्रतीक्षा ही करता रह जाता हूं। नीचे लिखा था तुम्हारा प्रिय “भगवान,ईश्वर” जिसे भी आप मानते हो।


यह चिट्ठी पढ़ते-पढ़ते उसके आंखों में आंसू आ गए। दौड़े भागे महात्मा जी के पास पहुंचे और बोले महात्म जी आपने आंखें खोल दी। मुझे बता दिया कि क्या मैं भूल कर रहा है। मैं तो भगवान को सिर्फ काम के समय याद करता हूं। हर समय याद कर लूं तो शायद बात बन जाए। महात्मा जी ने कहा, वो हर समय तुम्हारे साथ हूं हर पल तुम्हारे साथ है। कुछ समय उनके लिए भी निकलना शुरू करो। चिंताएं कम हो जाएगी,जीवन में प्रसन्नताएं बढ़ने लगेंगे। अपने दिमाग को शांत करना शुरू करो। 


बहुत छोटी सी कहानी जो जीवन का सार समझती है हमें किसी भी समय भगवान को नहीं भूलना चाहिए क्योंकि वो हर समय हमारे साथ होते हैं।


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