The Favorite Boy🌦: हमारे देश की राजधानी दिल्ली है। क्या तुम बता सकते हो कि दिल्ली नगर किस नदी के तट पर बसा हुआ है। क्या तुम क्या जानते हो? कि कृष्णा जी किस नदी के किनारे जन्मे और बड़े हुए?
उत्तर है यमुना नदी।जिसे लोग प्यार से जमुना भी कहते हैं। यमुना की कहानी यमुनोत्री से शुरू होती है यमुनोत्री एक पहाड़ी चोटी का नाम है जो हिमालय में है।
यमुना की कुल लंबाई 1376 किलोमीटर है। कितनी दूरी तक पानी को होने के बाद यह अपने से भी बड़ी नदी गंगा में मिल जाती हैं। दो नदियों के मिलने की जगह को संगम कहते हैं। ऐसी मिलन को प्रयाग भी कहते हैं जैसे-देव प्रयाग, करणप्रयाग व विभिन्न नदियों का संगम होता है। इलाहाबाद को प्रयोगों का राजा मानकर प्रयागराज कहते हैं।
🌦: इलाहाबाद के संगम को त्रिवेदी भी कहा जाता है,क्योंकि यहां किसी जमाने में 3 नदियां गंगा, जमुना और सरस्वती का संगम होता था। सरस्वती नदी अब बिल्कुल विलुप्त हो गई है।अनुमान है कि इस नदी के पानी में इतनी मिट्टी बह कर आती रही होगी।कि हजारों सालों में उस मिट्टी का थोड़ा-थोड़ा अंश तलछट के रूप में नदी को काटता गया,और 1 दिन ऐसा आया कि पूरी नदी ही कट गई ।तलछट की मिट्टी से भर उठी।
यदि सरस्वती नदी की तलछट की सफाई उसके किनारे वाले लोग नियम पूर्वक करते रहते, तो पूरी की पूरी नदी के गायब होने की नौबत ना आती।सोचो कि नदी के लुप्त हो जाने से उसके किनारे बसे हुए गांव पर क्या बीती होगी। फसल की सिंचाई के लिए पानी नहीं मनुष्य और पशु को पीने के लिए पानी नहीं,नहाने धोने और सफाई के लिए पानी नहीं।
उत्तराखंड के टिहरी गढ़वाल के पर्वतीय इलाके में उछलते कूदते पहाड़ी नदी के रूप मे होने के बाद यमुना पाठक साहब के पास हथनीकुंड नाम की जगह पर मैदानी क्षेत्र में प्रवेश करती है। हथिनी कुंड तक यमुना का पानी तेज रफ्तार में आगे बढ़ता है इस रफ्तार की ध्वनि को दूर से ही सुना जा सकता है।
हथिनी कुंड के बाद या हरियाणा के यमुनानगर करनाल पानीपत और सोनीपत होते हुए दिल्ली की सीमा में प्रवेश करती है। दिल्ली के बाद फरीदाबाद पलवल मथुरा आगरा फिरोजाबाद इटावा और हमीरपुर होते हुए इलाहाबाद में इसकी यात्रा पूरी हो जाती है।
जो नदी बहते बहते समुद्र में जहां मिलती है।उसे स्वतंत्र नदी कहते हैं,जैसे गंगा नदी ऐसी नदियों में बीच-बीच में दूसरी नदियां मिलती रहती हैं।बीच-बीच में मिलने वाली नदियों को सहायक नदियां कहते हैं ।गंगा नदी की सहायक नदी के रूप में यमुना का विशेष महत्व है।
हर नदी का एक जल ग्रहण क्षेत्र होता है।जल ग्रहण क्षेत्र उस संपूर्ण क्षेत्र को कहते हैं, जहां से नदी में जल आ सकता है तथा जल ग्रहण क्षेत्र के की हर मानवी गतिविधि नदी के जल को प्रभावित कर सकती है।
यमुना नदी का कुल जल ग्रहण क्षेत्र 3,45,848 वर्ग किलोमीटर है। जिसमें 6 राज्य शामिल हैं इनके नाम है उत्तर प्रदेश, हिमाचल प्रदेश, हरियाणा, राजस्थान मध्य प्रदेश और दिल्ली।
यमुना की प्रमुख सहायक नदियां हैं चंबल, हिंडाल,टोस,बेतवा और केन।इनमें चंबल सबसे बड़ी है यमुना में प्रतिवर्ष लगभग 12 किलोमीटर चलता है कुल प्रवाहित जल का 80% भाग 3 बरसाती महीनों में बह जाता है। इसलिए अन्य ऋतुओं में यमुना नदी में कम पानी रहता है।
सम्राट फिरोजशाह तुगलक ने यमुना से निकलने वाली नदी नहर खुदवाई जो हरियाणा के हिसार जिले तक जाती थी।बाद में बादशाह अकबर ने इसकी एक शाखा दिल्ली तक खुदवाई अंग्रेजों ने इसकी मरम्मत करवाकर से पश्चिमी यमुना नहर का नाम दिया या नगर हथिनी कुंड के नाम से स्थिति दोबारा बैराज से शुरू होती है,यहीं से पूर्वी यमुना नहर भी शुरू होती है आगरा नहर दिल्ली स्थित ओखला बैराज से शुरू होती है।
🌦: क्या तुम बता सकते हो कि नदी में लहरें क्यों बनाई जाती हैं इसका कारण एक तो यह है कि जिस क्षेत्रों में नदी का पानी नहीं पहुंच पता है वहां भी पानी पहुंचाकर लोगों की जरूरत पूरी करें।दूसरा कारण यह है कि बरसात में जब नदी में बाढ़ आ जाती है तो बाढ़ के पानी को नेहरे अपने में सोख लेते हैं अन्यथा या अतिरिक्त पानी तबाही ला सकता है तीसरा कारण यह है कि मुख्य धारा द्वारा अधिकांश पानी समुद्र तक ना पहुंचे बल्कि इसके जल द्वारा मैदानों में ही इस्तेमाल के लिए रोका जा सके।
पिछले कुछ वर्षों से यमुना नदी के पानी में प्रदूषण की समस्या बढ़ गई हैं। पानी में बाहर से डाले गए अपशिष्ट पदार्थ अर्थात कचरा या मल जल जैसे गंदे पदार्थ पानी को खराब कर देते हैं।इससे जल उपयोग लायक नहीं रहता इसी को जल प्रदूषण कहते हैं
साफ सुथरा जल स्वास्थ्य के लिए अत्यंत आवश्यक है, पर अब यह एक दुर्लभ वस्तु हो गया है। जल प्रदूषण के कारण है। शहरों से आने वाले गंदे नाले और उद्योगों का कचरा यमुना के किनारे दिल्ली आगरा, मथुरा और इटावा जैसे अनेक बड़े और औद्योगिक नगर बसे हुए हैं।इन शहरों से कई नाले गंदा पानी यमुना में सीधे मिल जाते हैं नदी को प्रदूषित कर रहे हैं।
शहरों को नगर पालिकाओं और नगर निगमों का यह कर्तव्य है,कि वे अपने शहर के गंदे पानी को साफ करने के बाद ही उसे नालियों में मिलाने दे, पर बहुत कम शहरों में गंदे पानी को साफ करने की सुविधा उपलब्ध है। यमुना नदी के किनारे स्थित आठ प्रमुख शहरों से लगभग 1600000 लीटर गंदा पानी और कचरा प्रतिदिन नदी में आ मिलता है।
विकसित देशों की तरह हमारी नदियों में प्रदूषण का मुख्य कारण औद्योगिक स्रोत नहीं है। उद्योग धंधे से केवल 20% प्रदूषण के लिए जिम्मेदार है, शेष 80% प्रदूषण घरेलू जल और शहरीकरण के कारण होता है। जिससे कचरे या मल जल से मुख्य रूप से कार्बोनियम पदार्थ होते हैं ,जो पानी से मिलने पर ऑक्सीक्रत होते हैं।बोलचाल की भाषा में इस प्रक्रिया को सड़ना कहते हैं, किंतु वैज्ञानिक भाषा में या अक्सीकरण है। जल में वायु की अपेक्षा की ऑक्सीजन कि मात्रा कम होती है। ऑक्सीजन सभी जीवो के लिए आवश्यक है। पानी में ऑक्सीजन की कमी होने पर मछलियां मरने लगती हैं।
सामूहिक स्नान धार्मिक अनुष्ठान,नदी किनारे मुर्दे को जलाने तथा विषयों के शवों को नदी में बहाने से भी प्रदूषण होता है। सामूहिक स्नान के समय लोगों को फैलाने वाले अनेक बैक्टीरिया पानी में फैल सकते हैं। धार्मिक अनुष्ठानों के समय नदी में पत्तियां, फूल, दूध,दही सिर के बाल आटा हस्तियां और राख डाले जाते हैं। इनसे भी तो जल प्रदूषण में वृद्धि होती है।
पानीपत,सोनीपत, दिल्ली, मथुरा और आगरा में अनेक कारखाने हैं। कारखानों में भी पानी का उपयोग किया जाता है ।उपयोग के बाद बचा पानी गंदगी लेकर वापस आता जाता है। इनमें कई विषैले पदार्थ भी मिले रहते हैं।जब कारखानों का पानी नदी के पानी में मिलता है। तब प्रदूषित होने के साथ-साथ जहरीला भी हो जाता है, ऐसा पानी इस्तेमाल लायक नही रह जाता। मथुरा में कपड़ों की रंगाई के कई कारखाने हैं जिनसे रंगीन पानी निकल कर यमुना में मिल जाता है।इसके प्रभाव से यमुना का पानी रंगीन हो जाता है।
यमुना नदी में बरसात को छोड़कर बाकी ऋतु में पानी की कमी हो जाती है। अधिक पानी में जब गंदा पानी मिलाया जाता है। तब उसका प्रभाव अधिक नहीं पड़ता है। इसके विपरीत कम पानी में थोड़ा प्रदूषण भी प्रभावी होता है। यमुना नदी की स्थिति ऐसी ही है। पिछले कुछ वर्षों के दौरान नदी की सफाई के लिए अनेक योजनाएं बनाई गई हैं। भविष्य में यमुना नदी संभवत कुछ साफ हो जाएगी। हम सब का कर्तव्य है कि नदियों को साफ रखने में मदद करें, नदी के किनारे नदी में बेकार की चीजें नहीं देखनी चाहिए।
Note-हमारा भारतीय होने के नाते यह कर्तव्य है कि हम किसी भी नदी को साफ सुथरा और स्वच्छ रखें।🙏🙏🙏