बंटवारे की कहानी।


 एक गांव में एक किसान रहता था। उसके दो बेटे थे।बड़े बेटे का नाम था- बाबूलाल और छोटे बेटे का नाम था श्यामलाल।वह दोनों पुत्रों को एक समान प्यार करता था।


1 दिन किसान ने अपने मरने से पहले दोनों बेटों को बुलाकर कहा-


मेरे मरने के बाद तुम लोग मिल जुलकर रहना। संपत्ति के नाम पर मेरे पास जो कुछ है उस पर तुम दोनों का बराबर अधिकार है।


इतना कहकर किसान ने अपने प्राण त्याग दिए।

किसान संपत्ति के नाम पर एक गाय एक नारियल का पेड़ तथा एक चादर छोड़कर मरा था। जिसने श्यामलाल किसी तरह हड़पना चाहता था। बाबूलाल सरल स्वभाव का था, इसी बात का फायदा उठाने की नियत से 1 दिन श्यामलाल ने कहा-


भैया मरने से पहले पिता जी ने कहा था कि उसके पास जो कुछ है उस पर हम दोनों का बराबर हक है इसलिए आप मेरे हिस्सा मुझे दे दीजिए-


ठीक कहते हो, लेकिन पिताजी ने यह भी तो कहा था कि तुम दोनों मिल जुल कर रहना।


श्याम लाल ने झल्लाकर कहा -

मुझे मिलकर नहीं रहना आप मेरा हिस्सा मुझे दीजिए।


ठीक है जैसा तुम उचित समझो.....


इस तरह से बाबूलाल भी बंटवारे के लिए राजी हो गया। श्यामलाल बहुत खुश हुआ और उसने कहा -


भैया तुम बड़े हो इसलिए मैं तुम्हें गाय का मुंह वाला भाग देता हूं, क्योंकि गाय का मुंह वाला भाग ही सबसे अच्छा होता है।लोग इसके माथे पर तिलक लगाते हैं और इसकी पूजा करते हैं।


चलो, मुझे मंजूर है।


गाय के बंटवारे के पास श्याम लाल ने नारियल के पेड़ का बंटवारा भी चालाकी से किया उसने बाबूलाल से कहा-


भैया नारियल का पेड़ बहुत ऊंचा है।ऊपर चढ़ने में आपको काफी मेहनत करनी पड़ेगी। मैं आपका छोटा भाई हूं इस कारण मैं ऊपर का भाग ले लेता हूं आप नीचे का भाग ले लीजिए।


चलो,यह भी मुझे मंजूर है।


अब बारी थी चादर के बंटवारे की तो श्याम लाल ने कुटीर बुद्धि से कहा -


भैया चादर दिन में आप रख लिया करेंगे और रात को उसकी रखवाली मैं करूंगा।


ठीक है........


दूसरे दिन से बाबूलाल प्रतिदिन गाय को खिलाता था और दूध श्यामलाल लेता था पेड़ में पानी और खाद डालता बाबूलाल और फल खाता श्याम लाल। इसी प्रकार दिनभर चादर बाबूलाल रखता और रात को श्यामलाल उसे लेकर आराम से सोता था।


वाह! भाई हो तो ऐसा।



इनके पड़ोस में एक वृद्ध व्यक्ति रहता था, जो यह सब देखता था उसने देखा कि बाबूलाल दिन प्रतिदिन कमजोर होता जा रहा है। और श्यामलाल मोटा होता जा रहा है। एक दिन उसने बाबूलाल को बुलाया और उसे श्यामलाल की चालाकी के बारे में समझाया, और उसे कुछ उपाय भी बताएं।


अगले दिन सुबह के समय श्यामलाल गाय का दूध निकाल रहा था।इतने में बाबूलाल वहां पहुंचा और गाय के मुंह पर जोर जोर जोर से डंडा मारने लगा। गाय ने बिदक कर श्यामलाल के मुंह पर लात दे मारी।श्यामलाल किसी तरह से संभलकर उठा और उससे कहा -

 भैया! तुमने यह क्या किया? गाय को क्यों मारा ?


तुम्हें इससे मतलब! गाय का मुंह मेरे हिस्से में है मैं उस पर डंडा मरू या तिलक लगाऊं।


उसी दिन दोपहर को श्यामलाल नारियल तोड़ने पेड़ पर चढ़ा ही था कि बाबूलाल कुल्हाड़ी लेकर आया और पेड़ की जड़े काटने लगा। श्यामलाल पेड़ पर से चिल्लाकर बोला -

 

बड़े भाई यह क्या कर रहे हो मैं इस पेड़ पर मैं चढ़ा हूं और आप इसे काट रहे हो।


वृक्ष का जड़ वाला मेरा है। इसे मैं काट लूं या इसकी पूजा करूं तुम्हें क्या मतलब।


इसी तरह बाबूलाल ने एक दिन ढलते ही चादर को पानी में भिगो दिया। रात को जब श्यामलाल चादर लेने आया तो वह गीली थी। श्यामलाल गुस्से से चलाया -


आपने क्या किया?


 दिन में चादर का स्वामी मैं हूं मैं चाहूं जो करू।


श्यामलाल को समझ में आ गया कि आप उसकी चालाकी नहीं चलेगी। उसने बाबूलाल के पैरों में गिर कर अपनी गलती स्वीकार करते हुए कहा -


 भैया में स्वार्थ में अंधा हो गया था। मुझसे भूल हो गई,आप कृपया मुझे क्षमा कर दें।


सरल तथा सच्छे बाबूलाल ने अपने छोटे भाई को उठाकर सीने से लगा लिया और माफ कर दिया। श्यामलाल फुट फुट कर रोने लगा और बोला -


भैया पिताजी के कहे अनुसार अब हम दोनों एक साथ मिलजुल कर ही रहेंगे।


 इस प्रकार दोनों भाई सुख पूर्वक जीवन बिताते बिताने लगे।


Note- दोस्तों हमें कभी भी चालाकी नहीं करनी चाहिए हमेशा ईमानदारी से काम करना चाहिए चाहे घर हो, ऑफिस हो या स्कूल हो

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