हिमा दास

 

जिस आयु में बहुत से बच्चे कुछ बनने का सपना देखना शुरु करते हैं उसी उम्र में धान के खेतों से निकली देश की एक बेटी ने विदेशी धरती इंडोनेशिया की राजधानी 'जकार्ता' में देश का परचम लहराकर उड़न परी बन *गोल्डन गर्ल* का खिताब हासिल कर लिया।

हिमा दास का जन्म 9 जनवरी सन 2000 में असम के छोटे से गांव में हुआ था, इनकी माता का नाम जुनाली तथा पिता का नाम रोनजीत दास है।

हीमा के पिता गरीब किसान थे और अपने 2 बीघा खेत में धान की खेती किया करते थे उनकी फसल से घर का खर्च चलता था बचपन में हिमा दास अपने गांव के लड़कों के साथ फुटबॉल खेला करते थे और लड़कों की भांति ही स्ट्राइक लगाती थी साथ ही साथ अपने मन में एक अच्छा स्टीकर बनने का सपना देखती थी।

लेकिन उसके विद्यालय के शारीरिक शिक्षक ने उनसे कहा कि फुटबॉल में कैरियर बनाना इतना आसान नहीं है यहीं से धावक बनने की कहानी प्रारंभ होती है।

दौड़ के अनेक प्रतियोगिताओं में उन्हें स्वर्ण पदक प्राप्त हुआ सन 2017 में आयोजित अंतर्जनपदीय दौड़ प्रतियोगिता के दौरान उनकी मुलाकात निपुनदास से हुई, जिन्होंने इमाग की प्रतिभा को देखते हुए उन्हें अच्छे प्रशिक्षण हेतु गुवाहाटी आने को कहा लेकिन हीमा की पारिवारिक स्थिति ऐसी नहीं थी कि गुवाहाटी जा सके।

यह बात जब कुछ निपुनदास को पता चली तो उससे मिलने उनके घर जा पहुंचे और हिमा की प्रतिभा को घर वालों से बताया कि अगर इसे सही प्रशिक्षण मिल जाए तो मैं अपना व देश का नाम रोशन कर सकती है।

माता-पिता अपनी बिटिया का नाम रोशन होते हुए तो देखना चाहते थे पर उनके पास इतना धन नहीं था कि वे उसे गुवाहाटी भेज सकें।

कोच निपुनदास ने उनसे कहा कि आप पैसों की चिंता ना करें मैं इसकी रहने खाने आदि का इंतजाम कर दूंगा यह सुनकर घरवालों की खुशी का ठिकाना ना रहा और वे अपनी बिटिया को गुवाहाटी भेजने के लिए तैयार हो गए।

हिमा दास जब गुवाहाटी पहुंची तभी पहली बार उसने स्पाइक्स शूज पहने थे।पहले कोच निपुन दास इनको 100 मीटर 200 मीटर दौड़ के लिए तैयार कर रहे थे लेकिन बाद में उन्हें लगा किया 400 मीटर दौड़ में ज्यादा अच्छा कर सकती है तो उन्होंने हीमा को 400 मीटर दौड़ के लिए प्रशिक्षण देना प्रारंभ कर दिया और मात्र 1 वर्ष के कठिन प्रशिक्षण से ही हिमा दास 13 जुलाई 2018 को अंडर 20 विश्व एथलेटिक्स IAA F

(International association of athletics federation) मैं विश्व रिकार्ड 50.79 सेकेंड के साथ भारत की पहली धाविका बनी।इसके साथ ही 7 अगस्त सितंबर 2018 के मध्य जकर्ता में आयोजित एसोसिएशन खेलों में 1 स्वर्ण पदक बाद और रतन पदक भी जीते जिंदगी राष्ट्रपति एवं प्रधानमंत्री जी ने भूरी भूरी प्रशंसा की।

Note-कोई जरूरी नहीं कि आप किसी क्षेत्र में करियर बनाना चाहते हैं तो कुछ पढ़ाई भी हो आप बिना पढ़े भी किसी स्पोर्ट्स में करियर बना सकते है।मॉडल में करियर बना सकते एक्टिंग में करियर बना सकते हैं जिसमें आपको कोई डिग्री की आवश्यकता नहीं होती।

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