मिसाइल मैन


 महान कर्मियों की अब्दुल कलाम का जन्म तमिलनाडु के रामेश्वरम में हुआ था उनके पिता जैनुलाब्दीन एक नाविक और उनकी माता असी अम्मा कुशल ग्रहणी थी माताजी इस्लाम की शिक्षाएं तथा रामायण महाभारत की कथाएं घर पर सुनाया करती थी इस संस्कारों का प्रभाव बालक पर पड़ा, मछलियां पकड़ने और उसे बेचने परिवार की जीविका का एक मुख्य साधन था जिसके लिए उसके पास एक छोटी सी नौका थी जब भी कभी समुद्र में तूफान आता था दो-तीन दिन तक या व्यवसाय भी बंद रहता था परिवार पर आर्थिक संकट खड़ा हो जाता था।

अब्दुल कलाम परिवार की आर्थिक सहयोग देने के लिए अखबार बेचने लगे, पिता अपने होनहार बालक को आगे बढ़ाने के लिए चिंतित थे अब्दुल भी पढ़ना चाहते थे पढ़ने के लिए दूर जाना था और धन भी नहीं था।

एकदम पिताजी ने कहा अब्दुल अब तुम पढ़ने के लिए रामनाथपुरम जाओगे। तुम्हारी अम्मी और हमने विचार किया है कि हम तुम्हें अवश्य पढ़ आएंगे। बालक अब्दुल की प्रसन्नता का पारावार नहीं था। लेकिन परिवार से दूर जाने का अज्ञात भय भी था। पढ़ने के लिए तो कुछ कष्ट सहना ही पड़ेगा।

बड़े भाई के साथ अब्दुल को रामानतपुरम पहुंचा दिया गया, विश्वविद्यालय मैं प्रवेश भी करा दिया गया यह स्थान समुद्र तट पर स्थित था यहां गर्मी अधिक थी कक्षाएं पेड़ों के नीचे चलती थी बार-बार कक्षाएं बदलती थी एक बार भूल में अब्दुल दूसरी कक्षा में पहुंच गए। गणित के अध्यापक ने डांट कर कहा जब तुम अपनी कक्षा को भी नहीं पहचान सकते तो इस विद्यालय में क्यों चले आए। अपने घर जाओ भाई गांव के किसी स्कूल मैं पढ़ो,अब्दुल कलाम को दुख तो हुआ लेकिन इसे भी चुनौती के रूप में स्वीकार करके जी जान से पढ़ाई में लग गए।

अब्दुल भी बहुत परिश्रम एवं लगन से पढ़ना शुरू कर दिया जब वार्षिक परीक्षा का परिणाम घोषित हो तो इनको गणित विषय में सर्वोच्च अंक प्राप्त हुए।परीक्षाफल वितरण समारोह में उन्हीं गणित के अध्यापक श्री सिवासुब्रह्मणि इन्हें आगे बुलाया और सम्मानित किया। उन्होंने बड़े आत्मविश्वास से कहा कि 1 दिन या बालक अवश्य अपने परिवार और देश का नाम रोशन करेगा।

इसे छात्र अच्छी प्रकार से समझ नहीं सके अतः एक दिन बाल बच्चों को लेकर विज्ञान के अध्यापक समुद्र तट पर गए शाम का समय था पक्षी अपने घर की और वापस आ रहे थे या कुछ कतार में उड़ रहे थे कुछ स्वतंत्र होते चले जा रहे थे कभी आगे कभी पीछे कभी बाएं बाएं दाएं मुड़ जाते थे इसके दल का नेता बदल जाता था सभी उसका अनुसरण करते थे इस दृश्य के माध्यम से अध्यापक ने वायुयान उड़ाने की कल्पना सहज ही प्रदान कर दी।

बच्चे बहुत खुश है कलाम को यह दृश्य बहुत अच्छा लगा चिड़ियों के मुख उड़ने बढ़ने और कलाबाजीया दिखाने के अनुभव को भूल नहीं पाए उन्होंने भविष्य में वायुयान बनाने और उड़ाने का मन में संकल्प ले लिया।

मद्रास के एयरोस्पेस इंजीनियरिंग कॉलेज में इंजीनियरिंग की शिक्षा ग्रहण करने के पश्चात नौकरी के लिए वायुसेना में इंटरव्यू इंडिया तथा डीआरडी मैं भी आवेदन किया।भाई सेना एयर फोर्स का इंटरव्यू देहरादून में हुआ इन्हें नौवां स्थान प्राप्त हुआ लेकिन केवल 8 लोगों का ही चयन होना था अतः इनका चयन नहीं हो सका।

सफलता को इतने पास से दूर होते देखकर इन्हें कष्ट हुआ। फिर ये ऋषिकेश चले गए इनके दुखी चेहरे को देखकर एक संत ने कहा बेटा निराश मत हो शायद ही ईश्वर ने तुम्हें कहीं और नियोजित करना चाहता है परिश्रम करो आगे बढ़ो वहां से वापस आने पर इन्हें डीआरडीओ में नियुक्त नियुक्ति मिल गई ,फिर उन्होंने दोबारा पीछे मुड़कर नहीं देखा।

कुछ दिनों के पश्चात इनकी नियुक्त इसरो के वैज्ञानिक के रूप में हो गई। इन्होंने ब्रह्मोस ,अग्नि ,त्रिशूल पृथ्वीनाथ, मिसाइल बनाई जिससे भारतीय सेना की शक्ति कई गुना बढ़ गई।

उन्होंने 19 व 13 मई को 1998 पांच परमाणु बमों का सफल परीक्षण किया विश्व को आश्चर्यचकित करते हुए भारत को परमाणु शक्तिशाली राष्ट्र के रूप में प्रतिष्ठान कर दिया तत्कालीन प्रधानमंत्री स्वर्गीय अटल बिहारी वाजपेई की दृढ़ इच्छाशक्ति से यह कार्य संपन्न हुआ उन्होंने जय जवान जय किसान जय विज्ञान का नारा दिया अब्दुल कलाम मिसाइल मैन के नाम से विख्यात हो गए हैं सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार भारत रत्न से सम्मानित किया गया एपीजे अब्दुल कलाम को 25 जुलाई सन 2002 को भारत के राष्ट्रपति पद पर प्रतिष्ठित किया गया भारत माता की आंखों के तारे इस सपूत को 27 जुलाई 2015 के दिन असम की राजधानी शिलांग के भारतीय प्रबंध संस्थान आईआईएम में रहने योग्य ग्रह विषय पर व्याख्यान देते समय मंच पर ही हृदयाघात हो गया,कलाम को शाम 6:30 बजे विधानी अस्पताल ले जाया गया जहां उनका निधन हो गया 30 जुलाई 2015 को पूर्ण राज्य की सम्मान के साथ तमिलनाडु के रामेश्वरम में उनका अंतिम संस्कार किया गया।

Note-दोस्तों समस्या हमेशा आती है हर कोई व्यक्ति अगर चाहे अपने बल पर कुछ भी कर सकता है जैसे कि हमारे भूतपूर्व राष्ट्रपति अब्दुल कलाम करके गए हैं जो कभी भुलाया नहीं जा सकता इनको देखकर कैसा गाती है मन में कि मन करता है कुछ कर जाऊं तो यह कर गए देश के लिए।

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