लाहौर में क्रांतिकारियों की बैठक थी लाहौर में सुखदेव का घर था वहां
की बैठक की संपूर्ण व्यवस्था सुखदेव ने की थी सुखदेव के कुशल नेतृत्व के कारण बैठक
की व्यवस्था पूरी हो गई बैठक में भाग लेने हेतु राजगुरु भगत सिंह दुर्गा भाभी और सभी क्रांतिकारी लाहौर पहुंच चुके
थे दुर्गा भाभी के पति भगवती चरण बोहरा क्रांतिकारियों के लिए बम बनाते थे इसलिए
सभी उन्हें भाभी कहा करते थे सुखदेव को यह जानकारी हो गई थी कि अंग्रेज सरकार को
गुप्त बैठक का पता चल गया है अतः बैठक स्थगित कर दी गई सभी को वेशभूषा बदलकर लाहौर
से जाने का आयोजन हुआ योजना यह बनी कि भगत सिंह अंग्रेज अधिकारी बनेगी दुर्गा भाभी
उनकी पत्नी बनेगी परंतु दोनों के सामने धर्म संकट था भगत सिंह को सरदार होकर केश
काटना एवं दुर्गा भाभी को उनकी पत्नी बनाना देश धर्म के लिए भगत सिंह नितेश कटा
लिया सिर पर हेड पहनकर अधिकारी बन गए दुर्गा भाभी विधवा हो कर भी सिंदूर जोड़ी पहनकर
भगत सिंह की पत्नी। स्टेशन पर ट्रेन के आने का समय हो चुका था। भगत सिंह हाथ में
छड़ी लेकर आगे आगे चल रहे थे और दुर्गा भाभी उनके पीछे पीछे। राजगुरु कुली के भेश
सामान उठाकर भाभी के पीछे चल रहे थे। स्टेशन को चारों ओर से पुलिस ने घेर लिया था।
और आने जाने वालों की जांच हो रही थी। भगत सिंह को अफसर समझकर सिपाही ने जाने दिया
और दुर्गा भाभी को उनकी पत्नी समझ लिया।
राजगुरु को रोककर सिपाही ने पूछा - तुम कौन हो। राजगुरू ने उत्तर
दिया ‘कुली हूं हुजूर!
इस प्रकार लाहौर से भगत सिंह, राजगुरु दुर्गा
भाभी सुरक्षित निकल गए देश के लिए भगत सिंह ने केश कटवा दिए दुर्गा भाभी उनकी
पत्नी बनना स्वीकार किया।
Note-यह सदैव देश के लिए निजी हितों सुखो और भावनाओं के त्याग की प्रेरणा देती है।।