एक गांव में बंटी नाम का एक लड़का रहता था। उसका मन पढ़ाई में बिल्कुल नहीं लगता था जब भी उसकी मां उससे पढ़ने के लिए कहती, तो वह यह कह कर मना कर देता कि मुझ से पढ़ाई नहीं हो सकती।
1 दिन वह अपनी मां से बोला कि मां, मैं अब बड़ा हो गया हूं।मैं और नहीं पढ़ना चाहता। मैं अब नौकरी करूंगा।उसकी मां ने उसे बहुत समझाया, लेकिन उसने अपनी मां की एक न सुनी। अब वह नौकरी की तलाश में निकल पड़ा। रास्ते में उसे एक मोची कि दुकान मिली। उसने उससे पूछा, कि क्या उसे यहां कोई काम मिल सकता है। मोची ने कहा, मेरी दुकान में एक सहायक की जरूरत है।तुम चाहो तो यहां काम कर सकते हो।
लेकिन यह काम बंटी को पसंद नहीं आया। उसने उल्टे मुंह से जवाब दे दिया कि एक मोची के साथ में काम करूंगा। कभी नहीं, मोची ने कहा, पढ़ोगे नहीं तो, यही काम करना पड़ेगा।
बंटी आगे चल पड़ा। कुछ तेज चलने के बाद उसे एक होटल मिला।उसने सोचा कि यहां उसे एक अच्छी सी नौकरी मिल सकती है। उसने होटल के मालिक से बात की। उसने बंटी से कहा, कि त तुम्हें यहां चाय बनानी पड़ेगी और गंदे बर्तन को धोना पड़ेगा।इसके लिए तुम्हें ₹100 मिलेंगे यह सुन बंटी तुनक गया। उसने कहा कि मुझे इस काम के लिए कम से कम ₹500 चाहिए। मालिक ने कहा, कि यदि तुम पढ़े लिखे होते तो तुम्हें मैं ₹500 हजार रुपए क्या 1000 रुपए देता। किंतु तुम्हें तो मै बस ₹100 ही दे सकता हूं।
किंतु यह बंटी को मंजूर नहीं था। वह आगे की ओर निकल पड़ा।चलते-चलते बाद थक गया था।उसे जोर की प्यास भी लगी हुई थी। अचानक उसे वहां पर एक स्त्री पानी भरती दिखाई दी। उसने उस स्त्री से कहा, कि मुझे थोड़ा सा पानी पिला दो। उस स्त्री ने उसे पानी पिलाया। पानी पीते पीते उसकी निगाह पत्थर पर बड़े अजीब निशानों पर पड़ी। उसने हैरानी से उस स्त्री से पूछा,कि यह निशान कैसे हैं स्त्री ने जवाब दिया। पिछले 5 सालों से मैं यहां पानी भर रही हूं, और यह निशान मेरे पैरों के हैं जिस पर बंटी सोच में पड़ गया।
उसने सोचा कि यदि रोज पैरों को रखने से पत्थर पर पैरों के निशान पड़ सकते हैं। तो मैं भी पढ़ सकता हूं। उसने निश्चय किया और घर वापस लौटा आया। उसने अपनी मां से अपने व्यवहार के लिए क्षमा मांगी,और वादा किया, कि वह अब मन लगाकर पढ़ाई करेगा। उसकी मां ने उसे क्षमा कर दिया। उसने अपनी मां से वादा किया कि वह उसकी हर बात मानेगा। उसने अपनी मां से किया वादा पूरा किया और 1 दिन बहुत बड़ा आदमी बना।
Note-मित्रों हमें कभी भी एक बार में कोई भी कार्य या पढ़ाई में किसी भी चीज को करने की कोशिश नहीं करनी चाहिए बल्कि बार-बार कोशिश करनी चाहिए जिससे वह कार्य आसान और अच्छा हो सकेगा।