अब्राहम लिंकन।


 हमारे देश भारत की तरह संयुक्त राज्य अमेरिका एक विशाल देश है। जिस देश को आगे बढ़ाने वालों में जिस महापुरुष का नाम विशेष आदर से लिया जाता है। वे थे, अब्राहम लिंकन आज से लगभग डेढ़ सौ वर्ष पूर्व अब्राहम लिंकन अमेरिका के राष्ट्रपति बने थे।

अब्राहम लिंकन का जन्म 12 फरवरी सन 1809 को केटकी में हुआ था। उनके पिता एक निर्धन लकड़हारा थे।वे अपने बेटे को पढ़ाना चाहते थे किंतु निर्धनता के कारण बालक लिंकन को भी पाठशाला नहीं भेज पाए। बाप बेटे दोनों खेतों में काम करते थे। किसी प्रकार गुजारा चल रहा था। बालक लिंकन स्वयं भी पढ़ना चाहते थे।वे लिखकर एक बड़ा आदमी बनना चाहते थे। सौतेली मां ने लिंकन की शिक्षा की ओर विशेष ध्यान दिया। दिनभर वे खेतों में काम करते या जंगल में सूखी लकड़ियां काटते किंतु रात में सब सो जाते तो उनकी मां अंगीठी के मंद प्रकाश में उन्हें पढ़ना और लकड़ी के कोयले से लिखना सीखती थी। इस तरह लिंकन की लिखने पढ़ने की लालसा और तीव्र हो उठी।


बालक लिंकन लोगों से पुस्तके लाते और रात्रि में पढ़ा करते थे। एक दिन लिंकन एक धनी किसान से जॉर्ज वाशिंगटन की जीवनी नामक पुस्तक प्राप्त मांग लाए।वे देर रात तक उस पुस्तक को पढ़ते रहें।जॉर्ज वाशिंगटन का जीवन चरित्र पढ़ कर उन्हें बड़ी प्रेरणा मिली। जॉर्ज वाशिंगटन अमेरिका के प्रथम राष्ट्रपति थे। लिंकन ने मन ही मन संकल्प किया कि मैं भी अमेरिका का राष्ट्रपति बनूंगा। लिंकन का प्रारंभिक जीवन बड़ा कष्ट में था किंतु उन्होंने कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी पढ़ना लिखना नहीं छोड़ा। मेहनत करके उन्होंने कानून की पढ़ाई पूरी की और 1 दिन बे वकील बन गए। धीरे-धीरे उनकी वकालत चल पड़ी क्योंकि वह योग्य तो थे ही साथ ही साथ ईमानदार और सत्यवादी भी, झूठे मुकदमे नहीं लेते थे।सही पक्ष की ओर से ही वकालत करना स्वीकार करते थे।


उन दिनों अमेरिका में बलवान और धनी लोग गरीबों के ऊपर मनमानी करते और उन्हें दास बनाकर रखते थे। वे दासो के साथ बहुत बुरा व्यवहार करते थे। यहां तक कि दासो को पशुओं के समान ही खरीदने और बेचने की प्रथा प्रचलित थी। दासो की दयनीय दशा देखकर लिंकन का हृदय द्रवित हो उठता था। उन्होंने दास प्रथा का विरोध किया, उन्होंने स्पष्ट कहा कि सभी मानव समान है।सबको समान अधिकार और स्वतंत्रता मिलनी चाहिए। धीरे-धीरे लिंकन की लोकप्रियता बढ़ती गई, पहले उन्हें एलियान राज्य की जनता ने अपना सांसद चुना। तत्पश्चात सन 1860 में अमेरिका के राष्ट्रपति चुन लिए गए। राष्ट्रपति बनने पर उन्होंने देश की जनता को की खूब सेवा की। लिंकन ने दास प्रथा को समाप्त कराया और इस प्रकार सारा राष्ट्र एकता के सूत्र में बंध गया, इस कारण वे जनता की आंखों का तारा बन गए। अपनी इस महान सफलता के कारण पर दूसरी बार भी राष्ट्रपति चुने गए।


14 अप्रैल सन 1865 के दिन एक दुखद घटना घटी। लिंकन अपनी पत्नी के साथ एक थिएटर में बैठे नाटक देख रहे थे।एक दुष्ट व्यक्ति थिएटर में कुछ घुसा और उन्होंने लिंकन पर गोली चला, दी जिससे उनकी मृत्यु हो गई।



Note- अब्राहम लिंकन इस बात का जीता जागता उदाहरण है कि एक निर्धन से निर्धन व्यक्ति भी अपने चरित्र, इमानदारी और प्रतिभा के बल पर राष्ट्र के सर्वोच्च पद पर अधिकारी हो सकता है। आज लिंकन हमारे बीच उपस्थित नहीं है किंतु अब भी लोग उनका स्मरण करते हैं।

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