ज्योतिषी विद्या।


The Favorite Boy🌦: एक बार एक बूढ़ी औरत नदी में स्नान करने गई। किंतु घाट पर सिपाहियों का पहरा था।एक सिपाही बोला माई आज यहां नहीं नहीं पाओगी। इस घाट पर राज्य के प्रधान ज्योतिषी की पत्नी नहाने के लिए आने वाली है। इसलिए आज तुम जाओ।


घर आकर वृद्ध ने अपने पति से कहा- आज मुझे पता चला कि राजा के यहां प्रधान ज्योतिषी का पद बड़ा महत्वपूर्ण होता है। तुम भी ज्योतिष सीख कर,राजा के यहां ज्योतिषी क्यों नहीं बन जाते बूढ़े ने जवाब दिया मुझे ज्योतिष विद्या नहीं आती फिर मैं ज्योतिष कैसे बन जाऊं?

वृद्ध ने हठ कर कहा चाहे जिस तरह से ही ज्योतिषी बनकर दिखाओ नहीं तो मैं तुम्हें छोड़कर चली जाऊंगी।

बड़ा डर गया यदि घर वाली चली जाएगी ,तो बुढ़ापे में तो रोटियां से कर कौन देगा। वह बाजार से पंचांग खरीद लाया। ज्योतिष होने का ढोंग करने के लिए उसने सिर पर बड़ी सी पगड़ी बांधकर माथे पर तिलक लगा लिया ।फिर वह एक भीड़ वाली जगह पर बैठ गया।


लोग अपना हाथ दिखाने के लिए धीरे-धीरे उसके पास आने लगे बाहर लोगों का हाथ यौ ही देख कर

कुछ भी कह देता। बहुत सी बातें लोगों को सच जैसी लगती। कुछ ही दिनों में इस नए ज्योतिषी की झूठी ख्याति राज्य में फैल गई।


उन्हीं दिनों एक राजा की कंदील राज्य में लगान वसूल करने के लिए निकले थे,उन्होंने उगाही गई रकम बोरियों में भर ली।फिर उन बोरियों को 10 खच्चरों पर लाद क कर, सरकारी खजाने में ले गए, लेकिन यहां एक गड़बड़ हो गई पता चला कि एक खच्चर कम है लगान जमा कराने वाले घबरा गए अंत में बात राजा तक पहुंची।


उन्होंने राज्य के ज्योतिषियों से पूछा- पर वह कुछ ना बता सके, तब एक दरबारी बोला- हुजूर आजकल एक नया ज्योतिषी बाजार में बैठ रहा है ।उसकी बताई बात कभी गलत नहीं होती।


बूढ़े को दरबार में लाया गया। उसने अपना पंचाग देखा, फिर बोला शहर पहुंचते-पहुंचते लगान वसूल करने वाले कहीं रुके तो नहीं थे?


हां, हम खच्चरों को पानी पिलाने के लिए एक झुरमुट के पास रुके थे।


बूढ़ी ने सोचा कि आराम करने के बाद इन लोगों ने खतरों की गिनती नहीं की होगी।इसलिए एक खच्चर झुरमुट में रह गया होगा। आपका एक अच्छा झुरमुट में खास चर रहा है।


आदमी बढ़ाए गए, झुरमुट के पास एक खच्चर मिल गया। लोग बूढ़े के ज्योतिष ज्ञान से प्रभावित हुए। राजा ने उसे राज ज्योतिषी बना दिया।

The Favorite Boy🌦: घर पहुंचकर बूढ़े ने अपनी घरवाली से कहा तुम्हारे कहने से मैं राज ज्योतिषी बन गया ।लेकिन झूठ के इस सिंहासन पर बैठ कर मेरा दिल कांपता रहता है ।जाने कब मैं पकड़ा जाऊंगा?


लेकिन बुढ़िया ने उसकी बात अनसुनी कर दी। वह तो उस दिन का इंतजार कर रही थी। जब उसके पति को प्रधान राज ज्योतिषी बनाया जाएगा,और सिपाही घाट पर उनके लिए अन्य स्त्रियों का नहाना रुकवा देंगे, अपने विशिष्ट होने के भाव से मिली तृप्ति से उसका दिल फूल कर कुप्पा हो गया।


लेकिन बेचारा बूढ़ा रात दिन घबराया रहता। एक बार बार गुसलखाने में नहाते हुए भी अपनी झांसा पट्टी की ही बात सोच कर दुखी हो रहा था। वह सोचे लगा राजा के से पीछा कैसे छुड़ाएं?


ठीक है मैं पागल होने का ढोंग रचता हूं, अभी इसी समय इन्हीं के कपड़ों में भागकर राजा के पास जाता हूं जब वह देखेंगे कि मैं पागल हो गया हूं तो वह मुझे निकाल बाहर करेंगे।


बूढ़ा कछक्षा ही पहने हुए। राजा के महल की ओर भागा ।उसने राजा को पकड़ लिया और उसे घसीटते हुए बाहर ले आया। सहयोग से भूकंप आया और महल का वह हिस्सा टूटकर गिर पड़ा जहां पहले राजा बैठा हुआ था। धक्के से उबरते ही राजा ने पूछा तुम्हें इस भूकंप का पता कैसे चला नहाते नहाते मुझे लगा कि आप पर मुसीबत आने वाली है आप के प्राण बचाने के लिए उसी समय शर्म हया छोड़कर मैं भाग आया।


राजा ने कहा शाबाश बिल्कुल ठीक बताया यह टिड्डा बड़ी मुश्किल से फसा था ।और उसने मुट्ठी खोलकर टिड्डा दिखा दिया बूढ़े ने राहत की सांस ली।


राजा बूढ़े कि ओर से इज्जत करने लगा ।राजा ने उसे प्रधान राज ज्योतिषी बना दिया।


बढ़िया कि शान तो बढ़ गई। लेकिन बूढ़े की नींद गायब हो गई। एक बार राजा बगीचे में घूम रहा था ।उसने एक टिड्डा पकड़ कर मुट्ठी में बंद कर लिया फिर उसने बूढ़े को बुलाकर पूछा बताओ मेरे हाथ में क्या है?


बूढ़ा घबरा गया। समझ में नहीं आया कि क्या कहें अपनी मुसीबत की बात सोचते सोचते उसके मुंह से निकला पहली बार फसते फसते बचा,दूसरी बार फिर से बचते बचा लेकिन तीसरी बार तो फस गया।


राजा ने कहा शाबाश बिल्कुल ठीक बताया टिड्डा बड़ी मुश्किल से फसा था। और उसने मुट्ठी खोल कर दिखा दिया उन्हें राहत की सांस ली।


एक दिन बूढ़ा राजा से बोला हुजूर मैं आपसे अकेले में कुछ कहना चाहता हूं।


राजा ने बाकी सभी लोगों को बाहर भेज दिया।


बूढ़े ने राजा को अपनी पूरी कहानी सुना दी। राजा उसे सुनकर बहुत देर तक हंसता रहा। फिर उसने प्रधान राज ज्योतिषी के पद से बुरे को मुक्त कर दिया।


Note- दोस्तों बहुत से लोगों के मुंह से कही हुई बातें सही हो जाती कोई जरूरी नहीं कि उसमें ज्योतिष विद्या या किसी प्रखंड का हो।

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