गुस्से की कहानी।


 यह कहानी है एक छोटे से बच्चे की, जिसे बहुत गुस्सा आता था। जब उसे गुस्सा आता था। तो वह किसी की नहीं सुनती थी, और वह किसी को कुछ नहीं समझती थी कि उसके सामने कौन है। और जो उसके मन में आता था वह बोल देती थी, कई बार तो वह सामान को फेंक देती थी,इधर उधर तोड़फोड़ कर डाल देती थी। उसके मां-बाप बहुत परेशान हो गए। उनको समझ नहीं आ रहा था कि वो क्या करें। उन्होंने बहुत कोशिश करी अपनी बच्ची को समझाने की। अलग अलग तरीके से, लेकिन वह बच्ची समझ ही नहीं रही थी। फिर 1 दिन उसकी मां ने उसकी ट्यूशन टीचर से बात की, क्योंकि ट्यूशन टीचर ही एक ऐसी थी, जिसकी वह सुनती थी। उसकी टीचर ने उसकी मां की सारी बातों को सुना और उनको बोला कि आप चिंता मत करो,आने वाले कुछ ही दिनों में इस बच्ची का गुस्सा पूरी तरह से खत्म हो जाएगा। उसकी मां को कुछ समझ नहीं आया, फिर भी उसकी मां ने कहा कोशिश करने में क्या जाता है। फिर रोज कि तरह उसकी टीचर आई फिर क्लास शुरू होने वाली थी। उसकी टीचर ने उस बच्ची से कहा कि आज हम पढ़ाई नहीं करेंगे। आज हम एक खेल खेलेंगे। बच्ची यह सुनकर बहुत खुश हो गई। फिर टीचर उस बच्ची के साथ उस घर की दीवार के पीछे जाकर खड़ी हो गई। और उस टीचर ने उस बच्ची से कहा कि गेम ये है कि कभी तुम्हें गुस्सा आए तो तुमको एक कील लेनी है और इस दीवार पर आकर गाड़ देनी है। थोड़ी सी जितनी हो सके।तो उस बच्ची ने जाकर टीचर से पूछा इससे क्या होगा। तो टीचर ने कहा जब यह खेल खत्म हो जाएगा तब आप को एक गिफ्ट मिलेगा इसके बदले। फिर उस बच्ची ने वैसा ही किया जैसा कि उसकी टीचर ने कहा था। उसको जब भी गुस्सा आता और वह जाती और दीवार में एक कील गाड़ देती।जैसा कि उस बच्ची को बहुत गुस्सा आता था तो पहले ही दिन उस दीवाल पर 10 से ज्यादा किले गड़ गई। तो उसको बार-बार पीछे जाना पड़ता और कील गाड़नी पड़ती, तो उसके माइंड में थोड़े ही दिन आता, कि इतनी मेहनत में कील गाड़ने में करती हूं। उससे कम मेहनत में अपने गुस्से को काबू कर सकती हूं।अगले दिन 8 किले गड़ी उसके अगले दिन साथ, इसी तरीके से एक दिन ऐसा आया कि उसमें कोई भी कील नहीं गड़ी।

और बच्ची बहुत खुश हो गई और खुश होकर अपने टीचर के पास गई कि मुझे आज एक बार भी गुस्सा नहीं है।टीचर ने उसे शाबाशी दी।और फिर उस घर के पीछे उसी दीवार के पास जाकर गई और बोली इन सारी किलो को 

उखाड़ दो,क्युकी किले बहुत ज्यादा थी, उनको उखाड़ने में बहुत समय लग गया। फिर वह बच्ची वापस ने टीचर के पास आई और बोली मैन मैंने सारी किले उखाड़ डाली है और दीवार पर कुछ नहीं है। फिर टीचर ने उसे उसकी पसंदीदा चॉकलेट गिफ्ट की। और फिर उस बच्ची के साथ टीचर पीछे उसी दीवार के पास ले गई।बोली दीवार में आपको कुछ दिखाई दे रहा है। बच्ची बोली नहीं कुछ नहीं।

 फिर टीचर ने कहा ध्यान से देखो, कुछ तो दिखाई दे रहा होगा।


बच्ची ने कहा, हा'' मैंने जो किले निकाली थी।उसके निशान नजर आ रहा है। फिर टीचर ने समझा उसी प्रकार जिस प्रकार से गुस्से में तुमने सबको दुख दिया है। उससे जो उनके दिल में छेद हुआ है उसे कैसे भर पाओगे। उस बच्ची को क्या सुनकर बहुत अफसोस हुआ।और उसने प्राण किया कि अब मैं कभी गुस्सा नहीं होगी।


Note-दोस्तों हमें कभी भी ज्यादा गुस्सा नहीं करना चाहिए क्योंकि गुस्से में हम अपना और सामने वाले का नुकसान ही करते हैं इसका कोई फायदा नहीं होता। इसलिए हमेशा नम्रता पूर्वक व्यवहार करना चाहिए।

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