मानवता के अंकुर।


 एक बार रूम का राजा एक भीषण रोग से पीड़ित हो गया। उस समय देश विदेश के प्रख्यात एवं निपुण चिकित्सक राजा के दरबार में बुलाए गए।किंतु अच्छी से अच्छी औषधियों के प्रयोग से भी दे राजा के रोग का निदान ना कर सके।राजा का रोग पहले की अपेक्षा और बढ़ता चला गया। असाध्य रोगों के कारण राजा के हृदय में बिकलता और राज्य में उदासी छा गई।


एक दिन एक वृद्ध पुरुष राजा के प्रसाद में आया उसने रोग ग्रस्त राजा से कहा,"राजन।


एक विशेष प्रकार की औषधि के सेवन से आपका रोग ठीक हो सकता है।यह विशेष औषधि किसी व्यक्ति के पित्ताशय से तैयार की जाती है। यह औषधि आप रोग को मूल से उखाड़ने की क्षमता ही नहीं अपितु आपको चिरंजीव भी बना सकती है।"


वृद्ध के वचनों को सुनकर राजा के निराश मन में आशा का संचार हो गया। उसने वृद्धि के प्रति मन ही मन कृतज्ञता अभिव्यक्त करते हुए राजा के चिकित्सकों को एक ऐसे व्यक्ति की तलाश करने का आदेश दिया जिससे पित्ताशय से से वह औषधि बनाई जा सके।अंततः चिकित्सकों को एक ऐसा परिवार मिल गया जिसे आर्थिक तंगी के कारण पेट भर भोजन भी नहीं मिल पाता था।


इस परिवार में केवल 3 सदस्य थे एक लड़का और उसके माता-पिता।

 चिकित्सकों ने लड़के के माता-पिता को अपार धन देने का प्रलोभन देकर उनके एकमात्र पुत्र को खरीदने का प्रस्ताव रखा। धन की लालसा ने माता-पिता की आंखों पर पर्दा डाल दिया। उनकी दृष्टि में धन मोह के सम्मुख पुत्र मोह फिका पड़ गया, और उन्होंने घर के दीपक को चिकित्सकों के हाथो बेच दिया।


चिकित्सक लड़के को राजा के सामने लेकर आए। राजा ने लड़के के पित्ताशय से लेने के विषय में राजपुरोहित से बात कि। पुरोहित ने कहा," राजन! देश सर्वोपरि होता है, किंतु उसका शासक उससे भी बड़ा होता है क्योंकि, वह देश की रक्षा करता है और उसकी समृद्धि के लिए प्रयास करता है।ऐसे शासक के लिए किसी व्यक्ति की बलि देना कोई अपराध नहीं है।


पुरोहित के वचनों को सुनकर लड़के को राजा के सम्मुख खड़ा कर दिया गया। जल्लाद भी तलवार लेकर वहां आ पहुंचा, चिकित्सक औषधि तैयार करने वाले उपकरणों को लेकर आ खड़े हो गए।आप केवल राजा के आदेश की प्रतीक्षा थी। उसी पल लड़का आकाश की ओर देखकर जोर-जोर से हंसने लगा। उसे हंसते देख सम्राट ने लड़के से हंसने का कारण पूछा लड़के ने कहा,"जिस देश में मां-बाप धन के लिए संतान को बेचे, पुरोहित ने निरपराध मनुष्य की हत्या करने को उचित ठहराये, देश की प्रजा की रक्षा करने वाले शासक निर्दोषी प्राणी की जान ले कर अपनी जान बचाये, ऐसे देश में ऊपर वाले के न्याय पर ही भरोसा करना पड़ेगा।


उस लड़के की बातें सुनकर राजा की आंखें खुल गई।उसे अपनी भूल पर बहुत दुख होने लगा। उसका मन ग्लानि से भर गया। उसके मन में अंकुर फूट पड़े। उसने जल्लाद को वापस कर दिया।


नोट-हमको कभी भी किसी के साथ अन्याय नहीं करना चाहिए, भले ही हम किसी पद पर हो।

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