दोस्ती में हैसियत।


 नरेंद्र एक बहुत बड़े जज का बेटा था। वह बहुत ही हंसमुख स्वभाव का बच्चा था। उसके माता-पिता भी उसे बहुत प्यार करते थे।वह पढ़ने में भी बहुत तेज था। उसके पिता की शहर में काफी इज्जत थी और हो भी क्यों ना आखिर, वे एक मशहूर जज जो थे। और वे नरेंद्र की हर बात मानते थे किंतु उन्हें उसका गली के दूसरे बच्चों के साथ खेलना या मिलना जुलना पसंद नहीं था।


एक दिन जब नरेंद्र अपने मित्रों के साथ खेल रहा था तभी उसके पिता आ गए और उसने मित्रों को डांट कर भगा दिया।उसके पिता ने उसे भी डाटा की एक ऑफिसर के बेटे होकर तुम्हें छोटे लोगों के बच्चों के साथ खेलते हुए शर्म नहीं आती है। तुम घर में भी तो खेल सकते हो उसने डरते डरते कहा पापा मैं घर में किसके साथ खेलूं? मेरे सारे मित्र तो यही खेलते हैं। मैं उनके साथ नहीं खेलूं तो किसके साथ खेलूं ?एलिसा को तो खेलना भी नहीं आता। मम्मी भी उसी उसी के साथ व्यस्त रहती हैं मैं क्या करूं?


यह सुनकर पापा ने कहा," ठीक है। 2 घंटे के लिए तुम उन्हें अंदर बुला सकते हो, किंतु यह देखना कि कहीं कुछ गड़बड़ ना करें और मेरे आने से पहले सब वापस चले जाएं।


नरेंद्र खुशी-खुशी तैयार हो गया। कुछ दिनों तक तो सब कुछ ठीक-ठाक चलता रहा।किंतु 1 दिन नरेंद्र के पापा ऑफिस से जल्दी लौट आए। घर में बच्चों की फौज को देखकर उन्होंने डांटते हुए कहा,"ओहफ! कितना शोर है? कैसे जंगली बच्चे हैं? चलो भागो यहां से। श्यामलाल,सब को बाहर निकालो, तुरंत।


उस रात नरेंद्र ने कुछ नहीं खाया, और सो गया। अगले दिन भी बिना कुछ खाए, स्कूल चला गया। दोपहर को आकर भी उसने बहुत थोड़ा सा ही खाना खाया और चुपचाप अपने कमरे में जाकर सो गया।शाम को भी उठकर बिना कुछ कहे पढ़ाई की और फिर रात को भी थोड़ा सा ही खाना खाया और कमरे में जाकर सो गया। उसकी मां उसके इस व्यवहार से बड़ी चिंतित हो गई। वह नरेंद्र के पास गई और प्यार से पूछा," बेटा क्या बात है?क्या हुआ?


उसने अपनी मां से कहा -," प्लीज मम्मी मुझे तंग ना करो। मुझे सोने दो।


कुछ दिन बाद उसके पापा को नरेंद्र के स्कूल में बुलाया गया।


उसके अध्यापक ने कहा - शर्मा जी नरेंद्र को क्या कोई परेशानी है? वह कक्षा मैं किसी से भी बात नहीं करता हैं और उसके ग्रेड्स भी करते जा रहे हैं।


उसके पापा परेशान होकर उसे डॉक्टर के पास ले गए।डॉक्टर ने उसकी पूरी जांच की, लेकिन बीमारी का पता ना लगा। उसने नरेंद्र से पूछा," बेटा क्या परेशानी है, मुझे बताओ? मैं तुम्हारी हर तरह से मदद करूंगा।


यह सुनकर नरेंद्र की आंखों में आंसू आ गए। उसने रोते हो कहा," मेरे पापा को मेरा दूसरे बच्चों के साथ खेलना बिल्कुल पसंद नहीं है। वे कहते हैं कि मेरे मित्र छोटे लोगों के बच्चे हैं। वे सभी खेलते हैं और मैं उन्हें केवल देखता रहता हूं। मेरे मित्र मेरे पास भी नहीं आते मैं बिल्कुल अकेला हूं।



डॉक्टर ने उनके पापा को बुलाकर काफी समझाया। उसके पापा ने नरेंद्र को अपनी गोद में बिठाकर कहा," क्षमा करना बेटे मुझसे गलती हो गई।मुझे माफ कर दो। आज से तुम्हें जिसके साथ खेलना हो मुझे कोई एतराज नहीं। साथ में मैं भी खेला करूंगा।


 यह सुनकर नरेंद्र अपने पापा के गले लग गया।


Note- कभी कभी क्या होता है,हम बच्चों कि लाइफ में ज्यादा प्रॉब्लम क्रिएट करते हैं जो कि सही नहीं है।

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